माता भजन
रुतवा ये तेरे दर को,
मेरे सर से मिला है,
हालाकी ये सर भी मुझे,
तेरे दर से मिला है,
मिलता है तेरे दर से,
मुकद्दर से भी ज्यादा,
सच है कि मुकद्दर भी,
तेरे दर से मिला है।
जय माँ, जय माँ, जय माँ,
जय माँ, जय माँ, जय माँ
सच्चे मन से तुम्हारे होके,
गंगा जल से तेरे पग धोके,
मेरी माँ तेरे चरणों को,
छूने का बहाना मिल गया,
सारी कायनात सारा ही,
जमाना मिल गया।
तेरी चौखट पे सिर धर के,
झोली नवरत्नो से भर के,
मेरी माँ सच्ची ख़ुशी का है,
हमको खजाना मिल गया,
सारी कायनात सारा ही,
जमाना मिल गया।
हमने झुक झुक माथा टेका,
तेरी मेहर का जादू देखा,
तुमने दी ममता की छाया,
हमने बिन मांगे सब पाया,
श्रद्धा भाव से पुष्प चढ़ा के,
तेरी लगन से महिमा गाके,
मेरी मां, इन भटके हुए बंदो को,
ठिकाना मिल गया,
सारी कायनात सारा ही,
जमाना मिल गया।
पूजे जो दरबार तुम्हारे,
चमके माँ तकदीर के तारे,
कांटे फूल बने हैं सारे,
सवरे बिगड़े काम हमारे,
तेरे नाम की जपते माला,
खुल गया बंद किस्मत का ताला,
मेरी मां, दुखी जिंदगी को,
समय है सुहाना मिल गया।
सारी कायनात सारा ही,
जमाना मिल गया।
सच्चे मन से तुम्हारा होके,
गंगा जल से तेरे पग धोके,
मेरी माँ तेरे चरणों को,
छूने का बहाना मिल गया,
सारी कायनात सारा ही,
जमाना मिल गया।