गणेश भजन
हे गौरी सुत मंगल मूर्ति,
कृपा बनाए रखना,
हे गौरी सुत मंगल मूर्ति,
कृपा बनाए रखना,
जहाँ अकेली हो जाऊँ,
जहाँ अकेली हो जाऊँ,
मेरी उंगली थाम के चलना,
हे गौरी सुत मंगल मूर्ति,
कृपा बनाए रखना॥
जब-जब गिरती दुविधाओं में,
याद है आती छबि सिन्दूरी,
तुम ना होते जो सिद्धि विनायक,
हर आशा रह जाती अधूरी,
शीश मुकुट गले मोतियन माला,
तारों सी आंखें करती उजाला,
हे गौरी सुत मंगल मूर्ति,
कृपा बनाए रखना॥
समय का सूरज आँख दिखाए,
दुनिया धुप है तुम हो छाया,
दर से तुम्हारे खाली ना लौटा,
सच्चे मन से जो भी आया,
हर भटके को दिया सहारा,
हर डूबे को तुमने उबारा,
हे गौरी सुत मंगल मूर्ति,
कृपा बनाए रखना॥
हे गौरी सुत मंगल मूर्ति,
कृपा बनाए रखना,
जहाँ अकेली हो जाऊँ,
जहाँ अकेली हो जाऊँ,
मेरी उंगली थाम के चलना,
हे गौरी सुत मंगल मूर्ति,
कृपा बनाए रखना॥