राम भजन
निशदिन सुमिरन ही करूँ,
राम, राम, श्री राम।
तेरे दर को छोड़ के,
किस दर जाऊँ मैं।
देख लिया जग सारा मैंने,
तेरे जैसा मीत नहीं।
दाता तेरे जैसा मीत नहीं
तेरे जैसा सबल सहारा,
तेरे जैसी प्रीत नहीं ।
किन शब्दों में आपकी,
महिमा गाऊँ मैं ।
तेरे दर को छोड़ के,
किस दर जाऊँ मैं,
तेरे दर को छोड़ के,
किस दर जाऊँ मैं ....
अपनें पथ पर आप चलूँ मैं,
मुझमें इतना ज्ञान नहीं,
दाता मुझमें इतना ज्ञान नहीं,
हूँ मतिमंद, नयन का अँधा,
भला-बुरा की पहचान नहीं ।
हाथ पकड़ कर ले चलो,
ठोकर खाऊँ मैं ।
तेरे दर को छोड़ के,
किस दर जाऊँ मैं,
तेरे दर को छोड़ के,
किस दर जाऊँ मैं ....