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प्रभु भजन
जो भजे हरि को सदा,
सोई परमपद पाएगा ॥
देह के माला, तिलक और छाप,
नहीं कुछ काम के,
प्रेम भक्ति के बिना नहीं,
नाथ के मन भाएगा,
जो भजे हरि को सदा,
सोई परमपद पाएगा ॥
छोड दुनिया के मज़े,
और बैठकर एकांत में,
ध्यान धर प्रभु के चरण का,
ध्यान धर हरिके चरण का,
फिर जनम नहींआएगा,
जो भजे हरि को सदा,
सोई परमपद पाएगा ॥
दिल के दर्पण को सफा कर,
दूर कर अभिमान को,
ख़ाक बन गुरु के चरण की,
तो प्रभु मिल जायेगा,
जो भजे हरि को सदा,
सोई परमपद पाएगा॥
दृढ भरोसा मनमें करके,
जो भजे हरि नाम को,
कहता है ब्रम्हानंद,
ब्रम्ह आनंद बीच समाएगा,
जो भजे हरि को सदा,
सोई परमपद पाएगा॥