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माता भजन
सोच के निकला था,
तेरे से सब कुछ मांगूगा,
ये भी मांगूगा,
तेरे से वो भी मांगूगा,
लेकिन जब तेरे सामने आया,
सब कुछ भूल गया,
मुझे याद रही बस तू ही तू,
माँ झंडेवाले तू ही तू।
सोच के निकला था,
तेरे से सब कुछ मांगूगा,
ये भी मांगूगा,
तेरे से वो भी मांगूगा।
खाली झोली लेके गया था,
मैया मैं तेरे दर पे,
बड़ी-बड़ी फर्यादे थी,
जब निकला था घर से,
बेटा मांगूगा,
तेरे से बेटी मांगूगा,
मेहरो भरे खजाने वाली पेटी मांगूगा,
लेकिन जब तेरे सामने आया,
सब कुछ भूल गया,
मुझे याद रही बस तू ही तू,
माँ झंडेवाले तू ही तू।
सोच के निकला था,
तेरे से सब कुछ मांगूगा,
ये भी मांगूगा,
तेरे से वो भी मांगूगा।
क्या मांगू क्या न मांगू,
मैं फैसला कर न पाया,
मैंने सोचा मांग लूँगा मैं,
जो भी मन में आया,
शोहरत मांगूगा,
तेरे से दौलत मांगूगा,
लम्बी उम्र को पाने की,
मैं मोहलत मांगूगा,
लेकिन जब तेरे सामने आया,
सब कुछ भूल गया,
मुझे याद रही बस तू ही तू,
माँ झंडेवाले तू ही तू।
सोच के निकला था,
तेरे से सब कुछ मांगूगा,
ये भी मांगूगा,
तेरे से वो भी मांगूगा।
मुझे पता था मैया दर से,
खाली नही लौटाती,
देना होता है जब माँ ने,
तभी वो हमे बुलाती,
दर्शन मांगूगा,
मैया से किरपा मांगूगा,
मैया मैं तेरे दर से,
अब तुझको मांगूगा,
लेकिन जब तेरे सामने आया,
सब कुछ भूल गया,
मुझे याद रही बस तू ही तू,
माँ झंडेवाले तू ही तू।
सोच के निकला था,
तेरे से सब कुछ मांगूगा,
ये भी मांगूगा,
तेरे से वो भी मांगूगा।