प्रभु भजन
हरि जी आये, हरि जी आये,
तज सिंहासन हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
तज सिंहासन, हरि जी आये।
दूर से देख, वंदन कर,
तज सिंहासन हरि जी आये
तज सिंहासन हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये।
बिप्र सुदामा कृष्ण के,
दर चले हैं आस लगाए,
बाभनि कहती सदा,
जाके उनको दशा बताये ,
ऐसो मोहन सदा सहाय,
ऐसो प्रभु जी कृपा दिखाये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
तज सिंहासन, हरि जी आये।
चले रहे संकोच में,
होईहे का जो न पहचाने,
जैसे पहुंचे द्वारका,
रक्षक सब मिल दूर ही थामे,
ऐसो मोहन दौड़े आये,
हर्षित होय नयन भर आए,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
तज सिंहासन, हरि जी आये।
देख सुदामा श्री प्रभु,
अंग लगाए नयन भर आए,
धोये चरण आप ही,
और सिंहासन पर बैठाए,
ऐसो मोहन भेद मिटाये,
अपने सखा के दुःख बिसराये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
तज सिंहासन, हरि जी आये।
कुशल पूछे प्रेम से,
बालपन दिन याद कराये,
खाये तंदुल मुट्ठी तीन ,
किये कृपा सब काज बनाये,
ऐसो मोहन कष्ट मिटाये,
ऐसन प्रभु जी दया दिखाये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
तज सिंहासन, हरि जी आये।
दूर से देख, वंदन कर,
तज सिंहासन हरि जी आये
तज सिंहासन हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
हरि जी आये, हरि जी आये,
तज सिंहासन, हरि जी आये।