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राम भजन
हर एक डगर हर मंज़िल पर,
एक तेरा सहारा काफ़ी है,
मझधार में हो या साहिल पर,
हे राम पुकारा काफ़ी है,
हर एक डगर हर मंज़िल पर,
एक तेरा सहारा काफ़ी है,
हर एक डगर हर मंज़िल पर।
मुझे एक अकेले क्या गम है,
मैं हूँ, तू है, फिर क्या कम है,
मुझे एक अकेले क्या गम है,
मैं हूँ, तू है, फिर क्या कम है,
तू साथी है जब, किसका डर,
तू साथी है जब, किसका डर,
ये संग हमारा काफ़ी है,
हर एक डगर हर मंज़िल पर।
जब घोर निराशा छायी हो,
इत कुआँ हो, उत खाई हो,
जब घोर निराशा छायी हो,
इत कुआँ हो, उत खाई हो,
तर जाऊं, भव भय का सागर,
तर जाऊं, भव भय का सागर,
एक नाम तुम्हारा काफी है,
हर एक डगर हर मंजिल पर।
जिस पर तू राजी हो जाए,
सुख-दुख का सांझी हो जाए,
जिस पर तू राजी हो जाए,
सुख-दुख का सांझी हो जाए,
फिर कौन कमी, फिर कौन कसर,
फिर कौन कमी, फिर कौन कसर,
तेरा भंडारा काफी है,
हर एक डगर हर मंजिल पर।
मै पापी पतित पुरातन हूँ,
पर तेरा अंश सनातन हूँ,
मै पापी पतित पुरातन हूँ,
पर तेरा अंश सनातन हूँ,
चल लूंगा मैं अपने पांव डगर,
चल लूंगा मैं अपने पांव डगर,
निर्दोश इशारा काफ़ी है,
हर एक डगर हर मंजिल पर,
एक तेरा सहारा काफी है,
मझधार में हो या साहिल पर,
हे राम पुकारा काफ़ी है।
हर एक डगर हर मंज़िल पर
एक तेरा सहारा काफ़ी है
हर एक डगर हर मंज़िल पर।