हनुमान भजन
बूटी संजीवन ना लाते,
लक्ष्मण जी प्राण गंवाते।
सीता भी ना मिल पाती,
और लंका भी ना जल पाती।
बल में बलवान ना होते,
लिए गदा महान ना होते।
तो विजयी श्रीराम ना होते,
अगर हनुमान ना होते।
बजरंगबली जिसने,
तेरा नाम पुकारा है।
तूने... तूने उस प्राणी का,
हर काम संवारा है।
बजरंगबली जिसने,
तेरा नाम पुकारा है।
तूने... तूने उस प्राणी का,
बाबा काम संवारा है॥
लक्ष्मण के शक्ति लगी,
मूर्छित हो कर वो पड़े।
दुविधाओं के वश में,
तब प्रभु श्री राम पड़े,
मेरे प्रभु श्री राम पड़े।
संजीवन लाने को,
तेरा नाम पुकारा है।
तूने... तूने हर प्राणी का,
बाबा काम संवारा है,
बजरंगबली जिसने॥
कृष्ण और अर्जुन के संग,
कुरुक्षेत्र सजाया था।
अपने बल पौरुष से,
उस रथ को बचाया था,
तब रथ को बचाया था।
फिर श्याम ने भी तुमको,
माना रखवाला है।
तूने... तूने उस प्राणी का,
हर काम संवारा है,
बजरंगबली जिसने॥
यश वैभव ना चाहे,
तुमसे ओ बजरंगी।
तुझमे ही रम जाए,
मेरा मन ये बहुरंगी।
सब निर्बल को तेरा,
बस तेरा सहारा है।
तूने... तूने उस प्राणी का,
हर काज संवारा है॥
बजरंगबली जिसने,
तेरा नाम पुकारा है।
तूने... तूने उस प्राणी का,
हर काम संवारा है।
बजरंगबली जिसने,
बजरंगबली जिसने,
तेरा नाम पुकारा है।
बजरंगबली जिसने॥