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द्वितीये आदि गणेश,
त्रितिये सीमरा शारदा,
माँ मेरे कण्ठ करो प्रवेश।
सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,
गौरी सूत महाराज,
तुम हो देवों के सरताज,
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,
गौरी सूत महाराज,
तुम हो देवों के सरताज,
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
गंगाजल स्नान कराऊँ,
केसर चंदन तिलक लगाऊं,
रंग बिरंगे फूल मे लाऊँ,
सजा सजा तुमको पहराऊ ,
लम्बोदर गजवदन विनायक,
राखो मेरी लाज,
तुम हो देवों के सरताज॥
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
जो गणपति को प्रथम मनाता,
उसका सारा दुख मिट जाता,
रिद्धि सिध्दि सुख सम्पति पाता,
भव से बेड़ा पार हो जाता,
मेरी नैया पार करो,
मैं तेरा लगाऊं ध्यान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
पार्वती के पुत्र हो प्यारे,
सारे जग के तुम रखवाले,
भोलेनाथ है पिता तुम्हारे,
सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारें,
मेरे सारे दुख मीटजावें,
देवों यही वरदान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
सबसे पहले तुम्हे मनाऊ,
गौरी सूत महाराज,
तुम हो देवों के सरताज,
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
गणपति देव बड़ा बलवान॥
सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,
गौरी सूत गणराज,
तुम हो देवों के सरताज॥
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