
गोपीजन रस रास विलासी,
कौरव कालिंग, कंस बिनासी,
हिमकर भानु, कृसानु प्रकासी,
सर्वभूत हिय वस् वैयाखी,
बोलो जय कन्हैया की॥
नटखट बंसी वाले गोकुल के राजा
मेरी अँखियाँ तरस गयी
अब तो आजा, आजा....आजा....
नटखट बंसी वाले गोकुल के राजा
मेरी अँखियाँ तरस गयी
अब तो आजा, आजा…आजा....
आजा…आजा....
आ.........आ......आ.......
जमुना के तट पर
जब नटखट बंसीवाले की
बंसी बाजेगी राधा नाचेगी
बंसी बाजेगी राधा नाचेगी।
बंसी बाजेगी राधा नाचेगी
बंसी बाजेगी राधा नाचेगी।
सुनकर.... सुनकर डफ़ली,
शंख, मंजीरे भोर भये
भोर भये नदिया के तीरे
सुनकर डफ़ली, शंख,मंजीरे
भोर भये नदिया के तीरे
निंदिया जागेगी राधा नाचेगी
निंदिया जागेगी राधा नाचेगी
बंसी बाजेगी राधा नाचेगी
बंसी बाजेगी राधा नाचेगी।
आ.........आ......आ.......
लाज शर्म रस्ता न रोके
आज न कोई इसको टोके
लाज शर्म रस्ता न रोके
आज न कोई इसको टोके
आज न मानेगी राधा नाचेगी
आज न मानेगी राधा नाचेगी
नटखट बंसी वाले गोकुल के राजा
मेरी अँखियाँ तरस गयी
अब तो आजा आजा…आजा....
आजा…आजा... आ भी जा ..
नटखट बंसी वाले गोकुल के राजा
मेरी अँखियाँ तरस गयी
अब तो आजा
आजा आजा आ भी जा
आजा आजा आ भी जा....