शम्भू की पियारी, गिरिराज की दुलारी,
गिरिजग गबग गबग गबग गरुड़ गौर वाली,
तू घंटा घहराहके घुमाके कूद घंटावाली,
करत निहाल खुशहाल फड़ वाली तू,
दमक दमक दामिनी सी, चमक चला के चंडी,
डपट के दरिद्रमार दौड़-दौड़ आली तू,
शान वाली शूल वाली त्रिशूल वाली खड़ग वाली,
काली तू मां.. काली तू मां.. काली..
भवानी.. दयानी.. भवानी.. दयानी..
दैत्य दल विनाशनी जग उद्घारिणी
भवानी.. दयानी.. भवानी.. दयानी..
आदिविद्या हे स्वरूपिणी,
आदिविद्या हो तुम ही,
आदिशक्ति हो तुम ही,
महालक्ष्मी रूप तुम, तुम ही जग की माता,
सारे जगत की तुम ही कर्म फल प्रदाता,
तुम तो महादेव की हो अर्धरूपिणी।
भवानी.. दयानी.. भवानी.. दयानी..
भवानी.. दयानी.. भवानी.. दयानी..
ब्रह्माजी करें वंदन, हरी नारायण शिव अर्चन,
सुरनर मुनि गंधर्व पूजत सब ज्ञानी,
ऋषियों मनीषियों ने महिमा बखानी,
खड़ग भाल धारिणी मां पाप तारिणी।
भवानी..दयानी.. भवानी.. दयानी..
भवानी..दयानी.. भवानी.. दयानी..
हे तुम तो महादेव की हो अर्धरूपिणी
भवानी.. दयानी.. भवानी.. दयानी..
सिंह की सवारिणी त्रिशूल धारिणी
भवानी.. दयानी.. भवानी.. दयानी..
भवानी.. दयानी.. भवानी..दयानी..