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शिव भजन
जय भोलेनाथ, जय हो प्रभु
सब से जगत में ऊँचा है तू
जय भोलेनाथ, जय हो प्रभु
सब से जगत में ऊँचा है तू
इस दर से छोटा-बड़ा
कोई ना खाली गया
पर खाली है आँचल मेरा
जय भोलेनाथ, जय हो प्रभु
हर दाग धुलता है यहाँ, धुलता यहाँ
हर भाग खुलता है यहाँ, खुलता यहाँ
अरे, मैं भी उसी दर पे आया
बनती सब की बिगड़ी जहाँ
ढूँढा ज़मीं-आसमाँ
मेरा तो सब कुछ यहाँ
अब मैं और जाऊँ कहाँ?
जय भोलेनाथ, जय हो प्रभु
सब से जगत में ऊँचा है तू।
अब आस दो मालिक तुम ही,
हो, मालिक तुम ही
कहीं चैन मुझे मिलता नहीं,
हाँ, मिलता नहीं
अरे, दिन के उजाले में खोया
मेरे दिल का टुकड़ा कहीं
मुझ पे भी हो तेरी छाँव
ना मुल्क चाहूँ ना गाँव
दे-दे मेरे बच्चे को पाँव
जय भोलेनाथ, जय हो प्रभु
सब से जगत में ऊँचा है तू
जय भोलेनाथ, जय हो प्रभु