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शिव भजन
जगत के सर पर जिनका हाथ,
वहीं है अपने भोले नाथ,
जगत के सर पर जिनका हाथ,
वहीं है अपने भोले नाथ,
जिन चरणों में, सदा झुकाती,
जिन चरणों में, सदा झुकाती,
सारी दुनियाँ माथ,
वहीं है अपने भोले नाथ,
जगत के सर पर, जिनका हाथ,
वहीं है अपने भोले नाथ।
सृष्टि के पालक तुम ही,
कुशल संचालक तुम ही,
'तुम्ही हो जग विस्तारक,
तुम्ही इसके संघारक',
सृष्टि के पालक तुम ही,
कुशल संचालक तुम ही,
तुम्ही हो जग विस्तारक,
तुम्ही इसके संघारक,
जिनको पाकर कभी न समझे,
जिनको पाकर कभी न समझे,
खुद को कोई अनाथ,
वहीं है अपने भोले नाथ,
जगत के सर पर, जिनका हाथ,
वहीं है अपने भोले नाथ।
हिमालय पर तुम रहते,
मार मौसम की सहते,
गले में सर्प लपेटे,
मगन मन रहते लेते,
हिमालय पर तुम रहते,
मार मौसम की सहते,
गले में सर्प लपेटे,
मगन मन रहते लेते,
भूत प्रेत बेताल हमेशा,
भूत प्रेत बेताल हमेशा,
रहते जिनके साथ,
वहीं है अपने भोले नाथ,
जगत के सर पर, जिनका हाथ,
वहीं है अपने भोले नाथ।
कृपा सब पर बरसाते,
सभी का मन हरसाते,
भक्त गण जब भी तेरे,
सदा जो दौड़े आते,
कृपा सब पर बरसाते,
सभी का मन हरसाते,
भक्त गण जब भी तेरे,
सदा जो दौड़े आते,
अनुज देवेंद्र भी पाकर जिनको,
अनुज देवेंद्र भी पाकर जिनको,
अब हो गए सनाथ,
जगत के सर पर, जिनका हाथ,
वहीं है अपने भोले नाथ।
जिन चरणों में, सदा झुकाती,
जिन चरणों में, सदा झुकाती,
सारी दुनियाँ माथ,
वहीं है अपने भोले नाथ,
जगत के सर पर, जिनका हाथ,
जगत के कण कण में भगवान।