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कृष्ण भजन
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकले।
गोविन्द नाम लेकर,
तब प्राण तन से निकले ॥
श्री गंगा जी का तट हो,
जमुना का वंशीवट हो।
मेरा सांवरा निकट हो,
जब प्राण तन से निकले,
गोविन्द नाम लेकर,
तब प्राण तन से निकले ॥
पीताम्बरी कसी हो,
छवि मन में ये बसी हो।
होठों पे कुछ हसी हो,
जब प्राण तन से निकले,
गोविन्द नाम लेकर,
तब प्राण तन से निकले ॥
जब कंठ प्राण आए,
कोई रोग ना सताए।
यम दर्श ना दिखाए,
जब प्राण तन से निकले,
गोविन्द नाम लेकर,
तब प्राण तन से निकले ॥
उस वक़्त जल्दी आना,
नहीं श्याम भूल जाना।
राधे को साथ लाना
जब प्राण तन से निकले
गोविन्द नाम लेकर,
तब प्राण तन से निकले ॥
एक भक्त की है अर्जी,
खुदगर्ज की है गर्जी ।
आगे तुम्हारी मर्जी,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकले,
गोविन्द नाम लेकर,
तब प्राण तन से निकले ॥
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
राधा रमण हरी गोविन्द जय जय।
राधा रमण हरी गोविन्द जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
राधा रमण हरी गोविन्द जय जय।
राधा रमण हरी गोविन्द जय जय।
हरे हरे गोपाल राधे गोविंदा।
हरे हरे गोपाल राधे गोविंदा।
राधे गोविंदा, राधे गोविंदा।
राधे गोविंदा, राधे गोविंदा।
राधा रमण हरी गोविन्द जय जय।
राधा रमण हरी गोविन्द जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।
गोविन्द जय जय, गोपाल जय जय।