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माता भजन
मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नज़र आये माँ,
माँ छोड़ के दर तेरा,
कोई और किधर जाये,
बस तू ही नज़र आये ॥
गैरो ने तो ठुकराया,
अपने भी बदल गये है,
हम साथ चले जिनके,
वो दूर निकल गये है,
तेरे रहम पर हूँ,
माँ तेरे रहम पर हूँ,
तू बख्श या ठुकराये माँ,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नज़र आये माँ॥
माना के मैं पापी हूँ,
तुझे खबर गुनाहो की,
बस इतनी सजा देना,
मुझे मेरी खताओं की,
तेरे दर पे हो सर मेरा,
तेरे दर पे हो सर मेरा,
और साँस निकल जाए माँ,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नज़र आये माँ॥
हम ख़ाख़ नशीनो की,
क्या खूब तमन्ना है,
तेरे नाम से जीना है,
तेरे नाम पे मरना है,
मरना तो है वो तेरी,
मरना तो है वो तेरी,
चौखट पे जो मर जाये माँ,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नज़र आये माँ॥
सूरज और चंदा का,
आँखों में उजाला है,
मस्तक में अग्नि की,
प्रचंड ज्वाला है,
तेरी नजरे करम हो तो,
माँ नजरे करम हो तो,
‘गुरदास’ भी तर जाए माँ,
बस तू ही नज़र आये,
मुँह फेर जिधर देखूं,
मुझे तू ही नज़र आये माँ॥