राम भजन
कमलाकांत प्रभु कमलनयन स्वामी,
घट घट वासी अंतर्यामी ।
नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे,
निज भक्तन के प्रतिपाल, जय जगदीश हरे ॥
जय जय राम राजा राम, जय जय राम राजा राम
जय जय राम राजा राम, जय जय राम राजा राम
प्रभु अनुसरण जेहि जन कीना ।
नाथ परमपद तिन कर दीना ॥
राम जय जय राम राजा राम, जय जय राम
राम जय जय राम राजा राम, जय जय राम
भक्ति भाव की ऐसी धारा ।
जो डूबे सो उतरे पारा ॥
कलियुग केवल नाम अधारा ।
हरी सुमिरन हरी कीर्तन सारा ॥
राम जय जय राम राजा राम, जय जय राम
राम जय जय राम राजा राम, जय जय राम
नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे
नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे
वितरसि दिक्षुरनि दिक्पति कमनीयं
दशमुख मौली बलिम रमनीयं ॥
केशव धृत राम शरीर जय जगदीश हरे ।
हरी हरते जन की पीड़ जय जगदीश हरे ॥
जय जय नारायण नारायण नारायण
जय जय नारायण नारायण नारायण
हरी हरी नारायण नारायण नारायण
हरी हरी नारायण नारायण नारायण
नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे
नारायण दीनदयाल, जय जगदीश हरे
निज भक्तन के प्रतिपाल, जय जगदीश हरे॥