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राम भजन
सिया राममय सब जग जानी,
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ॥
जपहिं नामु जन आरत भारी,
मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ॥
नाम लेत भव सिंधु सुखाई,
करहुँ विचार सुजन मन माहीं ॥
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥
शरण पड़े.. शरण पड़े..
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
कैसे तेरा नाम धियाए, कैसे तुम्हरी लगन लगाए,
कैसे तेरा नाम धियाए, कैसे तुम्हरी लगन लगाए।
हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े॥
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥
पन्थ मतों की सुन सुन बातें,
द्वार तेरे तक पहुँच न पाते।
भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े॥
शरण पड़े.. शरण पड़े..
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी,
राम तु ही गणपति त्रिपुरारी।
तुम ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े॥
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥
ऐसी अंतर ज्योत जगाना,
हम दीनो को शरण लगाना।
हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े॥
शरण पड़े.. शरण पड़े..
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥
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