जीवन की नैया चल रही हौले हौले,
पर संसार सागर में बलखा रही है,
कहीं पे खुशी है और कहीं दुःख हजारों,
ये माया समझ में नहीं आ रही है ।
असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।
भीड़ पड़ी अब भारी हे बजरंगबली,
भक्तो के दुःख दूर मेरे हनुमान करो ॥
असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।
गयारवे हो रूद्र तुम, भोले के अवतारी,
ज्ञानियो में आप ग्यानी योद्धा बलकारी ।
बाल अवस्था में चंचल, आप का था मन,
सूर्य को तुम खा गए, नटखट बड़ा बचपन ।
बचपन-बचपन तेरा बजरंग ।
बचपन बचपन बचपन बचपन,
मैं हूँ निर्बल बल बुद्धि का दान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥
असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।
श्री राम का तुमसा ना सेवक और है दूजा,
आज घर-घर में तुम्हारी हो रही पूजा ।
दीन दुखियों की कतारें द्वार पे लम्बी,
आप की महिमा को सुन कर आया हूँ मैं भी ।
आया मैं भी, मैं भी, मैं भी ।
मैं भी आया, आया मैं भी,
अपने भक्तों का बजरंगी मान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥
असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।
हे बजरंगी अब दया की कीजिये दृष्टि,
गा रही महिमा तुम्हारी यह सारी सृष्टि ।
आपकी कृपा हो जिसपे, राम मिले उसको,
बेधड़क आया ‘लक्खा’ अब और कहूँ किसको ।
किसको किसको कहूँ मैं किसको ।
कहूँ किसको किसको मैं कहूँ,
दया की दृष्टि मुझपर तुम बलवान करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥
असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ।
भीड़ पड़ी अब भारी हे बजरंगबली,
भक्तो के दुःख दूर मेरे हनुमान करो ॥
असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो,
पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो ॥
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