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ऐ मालिक तेरे बंदे हम,
ऐसे हो हमारे करम,
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम,
ऐ मालिक तेरे बंदे हम।
ये अंधेरा घना छा रहा,
तेरा इन्सान घबरा रहा,
हो रहा बेख़बर,
कुछ ना आता नज़र,
सुख का सूरज छुपा जा रहा,
है तेरी रोशनी में वो दम,
तो अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम,
ऐ मालिक तेरे बंदे हम।
जब जुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना,
वो बुराई करें, हम भलाई भरें,
नहीं बदले की हो कामना,
बढ़ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम,
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम,
ऐ मालिक तेरे बंदे हम।
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