चंचल मन,
शिव शिव शिव शिव जपा कर,
हर हर हर हर रटा कर।
कर चिन्तन....
शिव शिव शिव शिव जपा कर,
हर हर हर हर रटा कर। चंचल मन....
क्या मैं दे दूँ रंग की रंगाई,
नेग भरूँ क्या मूरत दिखाई,
किस विधि भोले करूँ रिझाई,
सबसे ऊँची प्रेम सगाई,
सिद्धि साधन ध्यान समर्पण,
तन मन धन अर्पण।
शिव शिव शिव शिव जपा कर,
हर हर हर हर रटा कर,
शिव शिव शिव शिव जपा कर,
हर हर हर हर रटा कर।
पाहन जड़ चेतन हो जाता,
काल नाचता सबै नचाता ,
मौन ही भीतर अनहद गाता,
सारा विष अमृत हो जाता,
लोटा सोटा और कमण्डल,
डमरू की डम डम।
शिव शिव शिव शिव जपा कर,
हर हर हर हर रटा कर,
शिव शिव शिव शिव जपा कर,
हर हर हर हर रटा कर।
चंचल मन....
शिव शिव शिव शिव जपा कर,
हर हर हर हर रटा कर।
कर चिन्तन।