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अब ना बनी तो,
अब ना बनी तो, फिर ना बनेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
अब ना बनी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
हीरा सा जनम, क्यों विरथा गवायों
ना सत्संग कियो, हरी गुण गायो
जननी तेरी तुझे, फिर ना जनेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
अब ना बनी तो,
अब ना बनी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
तेरी जवानी, भरम भुलानी
गुरु, पितु, मात की बात मानी
नैया कहो कैसे पार लगेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
अब ना बनी तो,
अब ना बनी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
ओ प्राणी तेरी काया माटी
धरणी गिरत है पतंग ज्यो काटी
माटी में माटी मिल के रहेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
अब ना बनी तो,
अब ना बनी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
अब ना बनी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार-बार नहीं मिलता
नर तन बार-बार नहीं मिलता
नर तन बार-बार नहीं मिलता
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