राम नाम की चाबी ऐसी, हर ताले को खोल दे,
काम बनगे बिगड़े सारे, जय श्री राम बोल दे,
राम नाम की चाबी ऐसी, हर ताले को खोल दे,
बोलो राम राम, बोलो राम राम,
बोलो राम राम, राम राम जय श्री राम..
पत्थर की थी एक शिला जो कब से पड़ी थी राहों में,
चरण कमल छू नार बनी वो प्रभु उठायें बाहों में,
जनम जनम के करम हमारे, वो इक पल में तोल दे,
काम बनगे बिगड़े सारे, जय श्री राम बोल दे,
राम नाम की चाबी ऐसी, हर ताले को खोल दे,
बोलो राम राम, बोलो राम राम,
बोलो राम राम, राम राम जय श्री राम..
पार करा के नदियाँ केवट लखन सिया रघु राज को,
जान गया वो कृपा सिंधु के छुपे हुए अंदाज को,
प्रेम के बदले दीन दयाला द्वार मोक्ष के खोल दे,
काम बनगे बिगड़े सारे, जय श्री राम बोलदे,
राम नाम की चाबी ऐसी, हर ताले को खोल दे,
बोलो राम राम, बोलो राम राम,
बोलो राम राम, राम राम जय श्री राम..
शबरी व्याकुल थी दर्शन को बेर तोड़ के लाती थी,
मीठे मीठे रखें बावरी खट्टे फल खुद खाती थी,
खाके झूठे बेर भक्त को निज दर्शन अनमोल दे,
काम बनगे बिगड़े सारे, जय श्री राम बोल दे,
राम नाम की चाबी ऐसी, हर ताले को खोल दे,
बोलो राम राम, बोलो राम राम,
बोलो राम राम, राम राम जय श्री राम..
राम विमुख है जो प्राणी यहाँ दर दर ठोकर खाते हैं,
महिमा ऐसी राम नाम से पत्थर भी तर जाते हैं,
भक्त हनुमंत राम नाम की मिश्री कानो में घोल दे,
काम बनगे बिगड़े सारे, जय श्री राम बोल दे,
राम नाम की चाबी ऐसी, हर ताले को खोल दे,
बोलो राम राम, बोलो राम राम,
बोलो राम राम, राम राम जय श्री राम..