नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। सभी भक्त इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते है। ब्रह्मचारिणी माता ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 5000 वर्ष तक बेल-पत्र और निर्जल व निराहार रहकर घोर तपस्या की जिसके कारण माता को ‘ब्रह्मचारिणी’ कहा जाता है।
ब्रह्मचारिणी का अर्थ, ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण से है, यानी ये देवी तप का आचरण करने वाली हैं, इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनका स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। ब्रह्मचारिणी माता के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है और श्वेत वस्त्र पहनती हैं। साधक नवरात्रि के दूसरे दिन अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते है। जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्रसरल स्वभाव वाली मां ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला तथा बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। उनकी पूजा करने वाले व्यक्ति को मन से किए गए सभी कार्यों में विजय प्राप्त होती है। उसके अंदर त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।
ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।
ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।।
माँ ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की नियंत्रक हैं इसलिए उन्हें गुड़ या गुड़ से बनी चीज़ों का भोग लगाया जाता है और आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है मां ब्रह्ममचारिणी को चीनी और मिश्री भी काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं, इसलिए आप उन्हें दूध से बने व्यंजनों का भी भोग लगा सकते हैं।