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चलो दरबार में शिव के,
वही बिगड़ी बनाएंगे।
झुकालो शीश जो उनको,
तो वो मन में समाएंगे॥
चलो दरबार में शिव के,
वही बिगड़ी बनाएंगे।
जो शिव के भक्त है वो तो,
सदा शिव नाम जपते है।
चढा के भांग धतूरा,
सदा मस्ती में रहते हैं।
भभूति है दवा उनकी,
चलो उसमें नहाएंगे॥
चलो दरबार में शिव के,
वही बिग बनाएंगे।
उन्ही से रौशन है दुनिया,
उन्ही से चांद और तारें।
मेरे भोले सदा ही है,
प्रभु श्री राम के प्यारे॥
वो शक्तिनाथ है बाबा,
नहीं निर्बल बनाएंगे।
चलो दरबार में शिव के,
वही बिगड़ी बनाएंगे।
लगालो एक अर्जी तुम,
कभी उस डमरूधारी से।
कहें मुर्गन गणेशा भी,
बने किस्मत कामारी से।
तेरे संयोग है भोले,
तेरे बिन जी पाएंगे॥
चलो दरबार में शिव के,
वही बिगड़ी बनाएंगे॥