अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में,
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में ॥
मेरा निश्चय है बस एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं,
अर्पण करदूँ दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ॥
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, जैसे जल में कमल का फूल रहे,
मेरे सब गुण दोष समर्पित हों, करतार तुम्हारे हाथों में ॥
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
यदि मानव का मुझे जन्म मिले, तो तब चरणों का पुजारी बनूँ,
इस पूजक की एक एक रग का, हो तार तुम्हारे हाथों में ॥
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
जब जब संसार का कैदी बनू, निष्काम भाव से कऱम करूँ,
फिर अंत समय में प्राण तजूं, निराकार तुम्हारे हाथों में ॥
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
मुझ में तुझ में बस भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो,
मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में ॥
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में, और हार तुम्हारे हाथों में ॥
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में।
To Listen This Bhajan 👇